राजभाषा हिन्दी: दशा एवं दिशा
गौतम ठाकुर
প্রকাশিত: ২৩ সেপ্টেম্বর ২০২০ ১৪ ০২ ০৪
राष्ट्रभाषा हिन्दी की सेवा करना एक अघोषित तप है। अंग्रेज चले गये पर अंग्रेजी अबाध गति से विस्तार ले रही है। मैकाले के काले मानस पुत्रों ने यत्र-तत्र-सर्वत्र प्रलोभनों के जाल फैला रखे हैं। सत्ता सुख भोगी राजनयिक ऊँचे पदों पर आसीन हैं। साहित्य संस्थाएँ तथा उन पर आसीन हैं। साहित्य संस्थाएँ तथा उन पर काबिज मठाधीश सत्ता के सम्मुख दीन-हीन है, हिन्दी हित में कोई सार्थक पहल नहीं करते, हिन्दी दिवस, हिन्दी पखवाड़ा मनाना और अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेना पर्याप्त मान लेते हैं। विश्व में अनेक देशों के चिंतकों को यह हास्यास्पद लगता है 'अनुदान न मिले तो कटौती हो सकती है' राष्ट्रभाषा-जन-भाषा तो है पर राजभाषा बनने में अनेक रुकावटें आ रही हैं। 'राजकीय एवं कई निजी विद्यालय, विश्वविद्यालय पाठ्यक्रम से हिन्दी के अंक 1 से 20 तक लुप्त हो चुके हैं। नहीं हिन्द में ही खिले
यदि हिन्दी के फूल।
तो समझो इस देश
की सारी उन्नति धूल।
की सारी उन्नति धूल। हिन्दी को राजरानी महारानी बनाने हेतु फिर क्रांतिकारी हुतात्माओं को इस धराधाम पर अवतरित होना होगा। सत्ता के आचरा से तो आशा दराशा मात्र है। सत्ता से लाग-लगात रखने वाले जैसे हिन्दी अंकों को लोप होते देखा, वैसे ही अक्षरों को भी तिरोधान होते देख लेंगे। विश्व में प्राचीन देश भारत गुरु गौरव से अभिभाषित हो इस हेतु हिन्दी को सिंहासनारूढ़ करना होगा। मैं अक्सर कहता हूँ | आज सम्पूर्ण विश्व में हिन्दी भाषाविद प्रथम स्थान पर है। नित नये कीर्तिमान रचने वाली हिन्दी सर्वोपरि वन्दनीय है। ओडोल स्मेकल की बात सोचनीय है। कि जब तक भारत अपनी भाषा को नहीं अपनाता,, उसे सही अर्थों में स्वतंत्र नहीं कहा जा सकता। देवनागरी लिपि में हस्तलिखित संविधान मात्र एक प्रति जर्जर अवस्था में जिसे अधिकारी दिखाने में भय खाते हैं। ज्ञानी जैलसिंह (भूतपूर्व राष्ट्रपति) कहा था- राष्ट्र और हिन्दी की उन्नति एक दूसरे से जुड़े हैं। हिन्दी को राजसिंहासन पर बिठाना और अंग्रेजी को पदच्युत करना आज का अपरिहार्य उत्तरदायित्व है। हिन्दी अपने बलबूते व दृढ़ संकल्प से विश्वपटल पर विकास पथ पर है।
हिन्दी में यह सामर्थ्य है। उस और समाज की द्वन्द्वात्मकता का जिस साहस के साथ इसने सामना किया है, उससे इसकी अपनी अलग सांस्कृतिक पहचान बनी है। यही कारण है कि विदेशों में भारतीय मूल के लोग अपनी आनुवंशिका भाषाओं के स्थान पर हिन्दी का ही प्रयोग करते हैं। भारत से बाहर दक्षिण अमरीका के क्यूबा के हवाना विश्वविद्यालय, मंगोलिया के उलन वात्र के विश्वविद्यालय आदि लगभग 160 विश्वविद्यालयों में हिन्दी भाषा के अध्यापन की व्यवस्था है। उन देशों में हिन्दी प्रयोजन की भाषा हो या नहीं। लेकिन सांस्कृतिक भाषा के रूप में अपनी पहचान बनाए हुए है। जब विश्व हिन्दी सम्मेलन अमरीका के न्यूयार्क शहर में आयोजित किया गया, तब इसमें हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा बनाने पर जोर दिया गया। अमरीका, के पूर्व राष्ट्रपति जॉज बुश ने भी हिन्दी के पठन-पाठन पर विशेष जोर दिया। इसके पीछे उनका मंतव्य कुछ भी हो, पर देखा जाए तो हिन्दी के बनते महत्व की ओर यह सुखद संकेत है।
निज भाषा उन्नति अहै,
सब उन्नति को मूल।
विन निज भाषा ज्ञान के,
मिटै न हिय को सूल।
मिटै न हिय को सूल। आज कितनी विडम्बना है कि एक ओर तो हिन्दी विश्वभाषा होने का गौरव प्राप्त कर रही है, विदेशों में इसके विकास हेतु प्रचार-प्रसार हो रहा है, वहीं दूसरी ओर अपने ही देश में हिन्दी भाषा की स्थिति आज भी चिन्ताजनक है। 14 सितम्बर का 'हिन्दी दिवस' मनाने की औपचारिकता पूरे देश में निभाई जाती है, उसकी मजबूती के लिए संकल्प लिए जाते हैं फिर ढाक के तीन पात जैसी स्थिति हो रह जाती है। अर्थात् हम केवल इसे लगातार उत्सवधर्मिता से जोड़ते चले आ रहे हैं और तरह-तरह के आयोजनों से मात्र औपचारिकता निभाने में लगे है क्योंकि भारतीय वस्तुओं की भांति 'भाषा' के प्रति भी स्वदेशी भाव नहीं रह गया है।
के प्रति भी स्वदेशी भाव नहीं रह गया है। विभिन्न प्रांतों में निवास करते हुए देश के कर्णधारों ने यथा- 'महर्षि दयानंद, महात्मा गाँधी, लाला लाजपतराय, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, मदनमोहन मालवीय, डॉ. राजेन्द्रप्रसाद, रवीन्द्रनाथ टैगोर, सुभाषचन्द्र बोस ने सार्थक उपयोग कर हिन्दी की श्रीवृद्धि की। मेरी समझ में 21 वीं सदी के मध्य तक राष्ट्रभाषा हिन्दी आंग्ल भाषा से आगे ही हो जायेगी।'
- কবিতা - অমর একুশে ফেব্রুয়ারি
- Poem - On a Road to Destiny
- Poem - Looking for You Endlessly
- Poem - I Will Come Too
- Poems
- Poems
- বৃক্ষরোপণ কর্মসূচি সাগরদিঘিতে
- Poem - To You Who I Love
- Poem - All Alone I Am
- Poems
- Poems
- Poems
- Article Title: lazreg Saany
- Poem - Are You Waiting ....?
- Poems
- Poem - Gathering in Silence
- শবেবরাত ২০২৫: অভিবাসন ও গাজা নিপীড়ন
- শবেবরাত ২০২৫: অভিবাসন ও গাজা নিপীড়ন
- Poem - Generals Birth Generations
- কবিতা - ভালোবাসার ভাষা
- Poems
- Poems
- Poem - Hope
- Poems
- Poem - Consternation
- Poem - Head
- Poem - Head
- Poem - I Have No Eraser
- Poem - Endless Love
- Poem - Threads of Will
- Poem - Head
- Poem - I Have No Eraser
- Poem - Hope
- Poem - Generals Birth Generations
- Poem - Consternation
- Poem - Are You Waiting ....?
- Poem - To You Who I Love
- Poem - I Will Come Too
- Poems
- Poem - Looking for You Endlessly
- Poems
- Poem - Endless Love
- Poem - Threads of Will
- Poems
- Article Title: lazreg Saany
- Poems
- Poems
- Poems
- শবেবরাত ২০২৫: অভিবাসন ও গাজা নিপীড়ন
- Poem - Gathering in Silence
- সাধারণ ধর্মঘটকে কেন্দ্র করে অগ্নিসংযোগের ঘটনায় গ্রেফতার ৭
- পুজোয় দুস্থদের বস্ত্র বিতরণ বামনগোলা আদিবাসী অধ্যুষিত এলাকায়
- राजभाषा हिन्दी: दशा एवं दिशा
- মদ্যপ অবস্থায় পুকুরে তলিয়ে গেলেন এক ব্যক্তি
- নাবালিকা নিখোঁজ রাজনগরে, দূশ্চিন্তায় পরিবার
- ভারতীয় বিজ্ঞান কংগ্রেসের দুটি বিভাগে সভাপতি অধ্যাপক গৌতম পাল
- আলেকারগােল HWD অর্গানাইজেশনের কম্বল বিতরণ
- রাতারাতি সুদিন ফিরলো মহিষাদলের চক্রবর্তী পরিবারে
- শ্রমিক পারিশ্রমিক চাইতে গেলে মারধরের অভিযোগ ঠিকাদারের বিরুদ্ধে
- ২৫৬তম জন্ম দিবসের পথে ডাঃ স্যামুয়েল হ্যানিম্যান
- কল্যাণী বিশ্ববিদ্যালয়ের ওয়েবকুপা ইউনিট উদ্যোগে বিক্ষোভ কর্মসূচি
- গভীর রাতে বিধ্বংসী আগুনে পুড়ে মৃত পাঁচটি গবাদি পশু।
- কড়িয়ালি বনকে ডিয়ার পার্ক,পাখিরালয়, মিনি জু গড়ার প্রস্তাব
- ৫ দিন ধরে খুজেও পাওয়া গেলনা তিস্তায় তলিয়ে যাওয়া যুবককে
- HUGE ENTHUSIASM ON NETAJI`S BIRTHDAY CELEBRATION